नई दुनिया |
पुरानी दुनिया को पतित, नई दुनिया को पावन कहेंगे।
कलियुग को तो कोई भी नई दुनिया नहीं कहेंगे।
मनुष्य कैसे समझें कि यह लक्ष्मी-नारायण सतयुगी नई दुनिया के मालिक हैं।...
बिल्कुल ही घोर अन्धियारे में हैं। नई दुनिया के मालिक यह लक्ष्मी-नारायण हैं।
यह है पुरूषोत्तम संगमयुग। और नई दुनिया स्थापन होती है।
तुम समझते हो भारत में ही नई दुनिया होती है, फिर पुरानी खलास हो जायेगी।
नई दुनिया में जरूर यह देवी-देवता थे, फिर यही होंगे।
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